मुझे चाहिए वह किताब ,
जिसमें हों प्रकृति के सुन्दर दृश्य,
जहाँ मैं कल्पना के घोड़ों पर बैठ दूर- दूर जा सकूँ ,
जो मेरे मन में प्रश्न उत्पन्न करे,
जहाँ ज्ञान हो,
विज्ञान हो,
आनंद हो,
समस्याएँ हों ,
समाधान हों ,
कहानियाँ जो परियों की हों ,
कहानियाँ जो वैज्ञानिकों की हों,
कहानियाँ जिनमें दादा- दादी हों ,
कहानियाँ जिनमें नाना- नानी हों ,
कहानियाँ जो रिश्तों की हों ,मित्रों की हों ,
कहानियाँ जो मेरी दुनिया की हों ,
जहाँ कंप्यूटर और इंटरनेट की बातें हों ,
मोबाइल हों , आई पैड हो , रॉकेट हों,
तो साइकिल हों , फूल हों , पौधे हों, पक्षी भी हों ,
ऐसी किताब जो मेरी दुनिया को जाने ,
ऐसी किताब जो मुझे समझे।
– उषा छाबड़ा
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Nice lines i like it…thanks for sharing this.