Here’s a poem that addresses the need of the hour – to ensure women’s safety in India. A poem that also highlights the root cause of the depression that many women are suffering from today.
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हाँ मैं दिल्ली की लड़की हूँ, पर अकेले रहने से डरती हूँ,
नौ से पांच नौकरी मैं करती हूँ, सुबह-शाम भागती रहती हूँ,
किसी से कुछ शिकायत नहीं करती हूँ, बस अपने में रहती हूँ
हाँ मैं दिल्ली की लड़की हूँ, पर अकेले रहने से डरती हूँ ।
क्यों किसी की पहचान बनूँ मैं, क्यों किसी और को अपनी पहचान बनाऊं,
किसी और से प्यार करने से पहले, मैं खुद से करना चाहती हूँ
किसी और के साथ रहने से पहले, मैं खुद के साथ घर बसाना चाहती हूँ
मर्दों की बनाई इस दुनिया में, अपनी शर्तों पर जीना चाहती हूँ
हाँ मैं दिल्ली की लड़की हूँ, पर अकेले रहने से डरती हूँ ।
क्यों लोग मेरा WhatsApp और Facebook खंगालते हैं
क्या वह किसी clue का इंतज़ार करते हैं
जो खुद न कर सके ज़िंदगी में, “ये कैसे कर पा रही है?”
चलो-चलो सभी इसे मिल के दबाएं, और अपने आप को बेहतर feel कराएं
“Trying to be a good girl ” के tag से थक चुकी हूँ
लोगों को prove करते-करते मर चुकी हूँ मैं
हाँ मैं दिल्ली की लड़की हूँ, पर अकेले रहने से डरती हूँ ।
Tattoo , Colouring , Piercing मेरी पहचान है
पर आज भी pizza से ज्यादा, परांठा मेरी जान है
मैं skirt भी पहनती हूँ, मैं सूट भी पहनती हूँ
मैं मंदिर भी जाती हूँ, मैं disco भी जाती हूँ
हर रंग से मैं हूँ, हर रंग मुझसे है
अपनी ही बनाई इस रंगों की दुनिया में रहना चाहती हूँ
आज की date पर, मर्दों से ज्यादा मैं औरतों से डरती हूँ
हाँ मैं दिल्ली की लड़की हूँ, पर अकेले रहने से डरती हूँ ।
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I really like this poem. Good work